Wednesday, March 3, 2010

गौरैया के बिना सूना घर आँगन- रवीश कुमार

3 फ़रवरी 2010 को हिन्दुस्तान दैनिक में, रवीश कुमार जी का दुधवालाइव डाट कॉम पर आधारित विश्लेषणात्मक लेख ।

1 comment:

  1. वाकई बहुत बडी बात है। एक समय होता था जब गांव के शहर के घर आंगल गौरयों के चह चहाट से गूंजा करता था अाज स्थिति यह है कि कही कोई चिडियां की आवाज तक नहीं आती है।

    ReplyDelete