Tuesday, November 6, 2012

यूपी का सबसे बड़ा पक्षियों का बसेरा तहस-नहस



०४ अक्टूबर २०१२ को डेली न्यूज एक्टीविस्ट में प्रकाशित सीधे अखबार में देखने के लिए क्लिक करे-



Sunday, October 28, 2012

पीताम्बर सोने सा दमकता एक पुष्प


डेली न्यूज एक्टीविस्ट में २७-१०-२०१२ को प्रकाशित पृष्ठ ९ पर




कृष्ण कुमार मिश्र

Thursday, September 13, 2012

नदियां कभी वापस नही आती

नदियां कभी वापस नही आती-
-कृष्ण कुमार मिश्र

डेली न्यूज एक्टीविस्ट अखबार के संपादकीय पृष्ठ पर 10 सितम्बर 2012 को प्रकाशित लेख

अखबार के लिंक पर जाने के लिए यहां क्लिक करे!

Friday, August 12, 2011

फ़ूल जो कैद थे रईशों के गरूर की चारदीवारी में?

मैनहन गाँव - फ़ुलवारियों की एक कथा-

अतीत से वर्तमान तक.....

जनसत्ता अखबार में "फ़ूलों का आँगन" शीर्षक के साथ 9 अगस्त 2011 को संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित मेरा लेख जो फ़ूलों के सांस्कृतिक महत्व के अतरिक्त आम-जनमानस में फ़ुलवारियों के प्रति विरक्तता पर आधारित है, आखिर वे क्यों दूर रहे पुष्पों से और आज भी क्यों महरूम है फ़ूलों और उनकी मदमाती सुगन्ध से...   ये लेख जंगल कथा ब्लॉग से लिया गया है।...कृष्ण कुमार मिश्र


Sunday, July 3, 2011

यहाँ बाढ़ आती है हर साल त्योहार की तरह !

3 जुलाई 2011 को हिन्दुस्तान दैनिक बरेली संस्करण के मुख्य पृष्ठ पर प्राकाशित आलेख

Tuesday, June 28, 2011

रंज







नई दिल्ली से प्रकाशित रूप की शोभा मासिक उर्दू/हिन्दी पत्रिका के फ़रवरी २००७ के अंक में प्रकाशित मेरी गज़ल।


कृष्ण कुमार मिश्र
लखीमपुर खीरी


Saturday, February 26, 2011

बरवर का ध्वस्त साम्राज्य

मैनहन विलेज ब्लाग से लिया गया लेख "बरवर का ध्वस्त साम्राज्य" पृष्ठ संख्या 1 जो 9 जनवरी 2011 के इतवारी अखबार पत्रिका में प्रकाशित हुआ।

मैनहन विलेज ब्लाग से लिया गया लेख "बरवर का ध्वस्त साम्राज्य" पृष्ठ संख्या 2 जो 9 जनवरी 2011 के इतवारी अखबार पत्रिका में प्रकाशित हुआ।


कृष्ण कुमार मिश्र