Wednesday, December 30, 2009

क्या नौ गज़ के आदमी के बारे में सुना है आप ने!




नौ गज़ यानी नौ यार्ड, लम्बाई की यह मापन य़ुनिट यार्ड का उर्दू में गज़ है जो कि भारतीय उपमहाद्वीप में खूब प्रचलित रही और आज़ भी ग्रामीण क्षेत्रों में यह मापन इकाई जनमानस में प्रचलित है।
हां तो अब यदि हम नौ गज़ या नौ यार्ड को मीटर में तब्दील करे तो नौ गज़= 8.2296 मीटर!
मानव इतिहास व विज्ञान में इतने लम्बे आदमी का कोई प्रमाण नही मिलता यदि मुझसे कोई चूक हो रही हो मानव विज्ञान के इतिहास के विषय में तो अवगत अवश्य कराइये गा।
खीरी जनपद के दुधवा टाइगर रिजर्व में घने जंगलों के मध्य एक मज़ार है जो आदमकद बिल्कुल नही है बल्कि आठ-नौ मीटर लम्बी है। तो फ़िर कौन है दफ़न इस कब्र में।

3 comments:

  1. सचमुच में यह तो एक आश्चर्य से कम नही..रोचक जानकारी भरी आलेख..धन्यवाद कृष्ण कुमार जी!!!

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  2. अजूबा ही है.




    मुझसे किसी ने पूछा
    तुम सबको टिप्पणियाँ देते रहते हो,
    तुम्हें क्या मिलता है..
    मैंने हंस कर कहा:
    देना लेना तो व्यापार है..
    जो देकर कुछ न मांगे
    वो ही तो प्यार हैं.


    नव वर्ष की बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  3. मिश्र जी, सही बात तो यह है कि हम लोग किसी के चमत्कारों से प्रभावित होकर उसे अतिमानव की श्रेणी में मान लेते हैं, ऐसी छवि बनने के बाद उसके नाम के साथ कुछ भी संबंधित कर लें, मान्य हो जायेगा। नौगजा पीर के नाम से एक मजार सहारनपुर में बनी हुई है जिसके बारे में मान्यता है कि वहां जाने से यदि शरीर पर अवांछित तिल/मस्से हैं तो वह स्वयं ही गिर जाते हैं। मेरी गर्दन पर कई तिल थे तो परिजनों के बहुत जोर देने से औपचारिकता हम भी कर आये परंतु कुछ नहीं हुआ। दोष सदा कि तरह हमारी अश्रधा पर गया। आपकी तरह मैं भी पीर साहब की कद काठी से बहुत हैरान हुआ लेकिन उससे भी बडा आश्चर्य था ’दिल्ली-लुधियाना’ जी.टी.रोड पर एक मजार देखी जिसका नाम था ’नौगजा पीर’। इन्हीं साहब के नाम पर तीसरी मजार के बारे में आपने जानकारी आपने दी। ऐसी जानकारी बांटने से निश्चित ही सुफल आनन्द प्राप्त हुआ। मुझ नौसिखिये के ब्लाग पर पहली टिप्पणी करके आपने जो उत्साहवर्धन किया, पहले प्यार और पहली नौकरी की तरह वह भी कभी नहीं भुला सकूंगा।

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